Monday 27 May 2013

ईश्क मुझे आप से या कुछ और हैं,
आज दिलमें हैं कसक वो कुछ और हैं।

जिंदगी के शोर सारे सुनने के बाद,
सुन लेना भीतर दबा जो ईक शोर हैं।

-विराज देसाई ©
(First attempt at Hindi! गुस्ताखी माफ!)

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